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 2088 तक विलुप्त हो जाएंगे इंसान! जानें इसे लेकर क्या कहते हैं विशेषज्ञ.
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2088 तक विलुप्त हो जाएंगे इंसान! जानें इसे लेकर क्या कहते हैं विशेषज्ञ.

by The Journal Story September 3, 2022 0 Comment
Image Source Wonderful Engineering

दुनिया भर की कई प्रजातियों की संख्या तेजी के साथ घट रही है। एक रिसर्च में दावा किया गया है कि 2050 तक दुनिया की 40% प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी और 2088 तक इसान भी विलुप्त हो जाएंगे। चिंता की बात यह है कि जिन प्रजातियों की संख्या में गिरावट आ रही है। उनके पास इससे निपटने का समाधान भी उपलब्ध नहीं हैं। कई प्रजातियाों को अपने अस्तित्व के लिए संरक्षण प्रजनन कार्यक्रमों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। बात इंसानो की कि जाए तो एक दावा किया जा रहा है कि 2088 तक  इंसान विलुप्त हो जाएंगे। इस समय धरती जीवन विलुप्त होने के एक दौर से गुजर रही है। 

दरअसल जर्नल साइंस एडवांसेज में प्रकाशित एक नए अध्ययन में पाया गया है कि इंसान की प्रजाति सबसे पहले खत्म होने वाली प्रजातियों में एक है। यह अध्ययन अमेरिका की तीन युनिवर्सिटीज़ प्रिंसटन, स्टैनफोर्ड और बर्कले यूनिवर्सिटी के द्वारा किया गया है। इस अध्ययन में ये भी खुलासा किया गया है कि रीढ़ की हड्डी वाले जानवरों के लुप्त होने की दर सामान्य से 114 गुना होगी।

आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के प्रख्यात वैज्ञानिक प्रोफेसर फ्रैंक फेनर भी इस संबंध में भविष्यवाणी कर चुके हैं। जिसके मुताबिक, अधिक जनसंख्या, पर्यावरण विनाश और जलवायु परिवर्तन के कारण इंसान 100 वर्षों में विलुप्त हो जाएंगे।

कैनबरा में ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर फेनर के मुताबिक, होमो सेपियन्स (इंसान) जनसंख्या विस्फोट से बचने में सक्षम नहीं होंगे और अन्तत: विलुप्त हो जाएंगे। शायद एक सदी के भीतर, कई अन्य प्रजातियों के साथ इंसानी सभ्यता भी  विलुप्त हो जाएगी। जिस तरह से इंसानी आबादी बढ़ रही है। उसे लेकर पिछले साल संयुक्त राष्ट्र ने जो आंकड़े जारी किए थे। उनके मुताबिक, फिलहाल इंसानी आबादी आबादी 6.8 अरब है, लेकिन जल्द ही इंसानी आबादी 7 अरब तक पहुंच जाएगी। ऐसी भविष्यवाणी की गई है।

Image Source: World Today News

फेनर का ये भी मानना है कि ये स्थिति बदल नहीं सकती है, क्योंकि अब काफी देर हो चुकी है। इसका मूल कारण है कि औद्योगीकरण के बाद से पृथ्वी पर ग्लेशियर्स और धूमकेतु प्रभावों पर प्रभाव पड़ा है। जलवायु परिवर्तन की तो अभी शुरुआत हुई है। यही आगे जाकर हमारे विलुप्त होने का कारण बनेगी। हम सभी लोग एक दिन विलुप्त हो जाएंगे। जितनी आबादी बढ़ेगी उतने ही संसाधन कम होते जाएंगे। यह भी इंसानों के विलुप्तीकरण की एक मुख्य वजह साबित होगा।

फेनर ने भविष्यवाणी की है कि आने वाले समय में भोजन को लेकर भी काफी युद्ध होने वाले हैं। फेनर ने अपनी बात को समझाने के लिए ईस्टर द्वीप का भी जिक्र किया। फेनर कहते हैं कि ईस्टर द्वीप अपनी विशाल पत्थर की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। पहले 1 हजार सालों में वहाँ पोलिनेशियन लोग बसे हुए थे। उस वक्त ईस्टर द्वीप एक प्राचीन उष्णकटिबंधीय द्वीप था। वहाँ पहले धीरे-धीरे जनसंख्या बढ़ी और देखते ही देखते जनसंख्या विस्फोट हो गया। जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ, जंगलों का सफाया होने लगा, जिससे सभी पेड़-पौधे विलुप्त होते गए। इसके बाद विनाशकारी परिणाम सामने आए। 1600 वर्षो के बाद उस सभ्यता का पतन शुरू हो गया। 19वीं शताब्दी तक आते-आते लगभग पूरा ईस्टर द्वीप ही गायब हो गया था। 

जीवविज्ञानी जेरेड डायमंड ने भी ईस्टर द्वीप के बारे में कुछ ऐसा ही कहा था। उन्होंने कहा कि वहाँ पर जो कुछ भी हुआ। वैसा आज पूरे ग्रह पर हो रहा है। उस वक्त की स्थिति और आज की स्थिति में काफी समानताएं हैं। जिससे स्पष्ट है कि जल्द ही इंसान विलुप्त हो जाएंगे।

स्पेसएक्स और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि अगर यही हाल रहा तो जल्द ही इंसान विलुप्त हो जाएंगे। अगर हमने जलवायु परिवर्तन या अन्य कारकों को लेकर कुछ नहीं किया तो 100 फीसदी संभावना है कि इंसान विलुप्त हो जाएगा।

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स्टैनफोर्ड वुड्स इंस्टीट्यूट फॉर एनवार्यनमेंट के रिसर्चर पॉल एनरिच कहते हैं कि जिस वक्त महाविलुप्ति की घटना घटेगी, उस वक्त इंसानी प्रजाति भी उन प्रजातियों में शामिल होगी जिनका समूल विनाश होगा। मेक्सिको स्थित विश्वविद्यालय के रिसर्चर गेरार्डो सेबलोस के मुताबिक, अगर ऐसा ही घटित होता रहा तो इंसानी जीवन को धरती पर वापस पनपने में कई लाख साल लगेगे।

काफी वैज्ञानिक इस बात को लेकर एकमत हैं कि प्रजातियां इतनी तेजी से विलुप्त हो रही हैं, जितनी दर संभवत: डायनासोर के वक्त भी नहीं थी। हालांकि कुछ विशेषज्ञ इस बात से इतर मानते हैं कि ये सभी अनुमान मान्यताओं पर आधारित हैं, जिन्हें बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया है। हालांकि, ये भविष्य के गर्भ में है कि इंसानी सभ्यता कब विलुप्त होगी लेकिन ये भी साफ है कि बदलते परिवेश और जलवायु परिवर्तन के कारण एक दिन इंसान विलुप्त अवश्य होंगे।

Link Source: Wikipedia

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