समाज की परवाह न करते हुए इस लड़की ने बेचना शुरू किया यह प्रोडक्ट, आज है 700 करोड़ की मलकिन
- बचपन से ही रिचा का एकेडमी बैकग्राउंड रहा है। शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद, बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, पिलानी से उन्होंने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया।
- अपनी स्टडी पूरी होने के बाद जब वह कंसल्टेंट के रुप में काम कर रही थीं तो उन्हें एहसास हुआ कि महिलाओं को दुकान से लिंगरी लेते हुए शर्मिंदगी महसूस होती है।
- रिचा ने एक ऐसे बिजनेस की शुरुआत की जिसके बारे में सुनकर लोगों को शर्म आती थी। उनके उसी विचार से आज उन्होंने 700 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी है।
जहां भारत में अंतर्वस्त्र पर बात करना शर्म की बात मानी जाती है वहां इसका बिजनेस शुरु करने के बारे में किसी लड़की की सोच को सच में सलाम करने की जरूरत है। ये स्टोरी है जिवामे की फाउंडर और सीईओ रिचा कर की। इस कंपनी की शुरुआत करने में उन्हें बहुत सी कठनाइयों का सामना करना पड़ा। सबसे पहले तो उन्हें अपने घर से ही विरोध झेलना पड़ा। रिचा की मां ने अपनी उनका यह कहकर विरोध किया कि मैं अपनी सहेलियों को कैसे बताउंगी कि मेरी बेटी ब्रा-पैंटी बेचती है। उन्होंने कहा कि उनके पिता को तो समझ ही नहीं आया कि वो कौन सा काम करना चाहती हैं।
लोगों को जब उनके इस बिजनेस के बारे में पता चला तो वो इस पर हंसते थे। शुरुआती वक्त में तो उन्हें इसके लिए जगह ढूंढने में भी बहुत दिक्कतें हुई। किराए पर मकान लेते वक्त भी मकान मालिक ने बिजनेस के बारे में पूछा पर रिचा उनसे सिर्फ यह कह पाई कि वो ऑनलाइन कपड़े बेचती हैं। आईए जानते हैं रिचा कर के संघर्ष की पूरी कहानी।
रिचा कर कौन हैं?
रिचा कर जिवामे लिंगरी ब्रांड की सीईओ और फाउंडर हैं। उनका जन्म 17 जुलाई 1980 को झारखंड के जमशेदपुर में हुआ था। वह एक मिडिल क्लास फैमली से सम्बंध रखती है। इनकी मां एक हाउसवाइफ और पिता टाटा स्टील कंपनी में काम करते थे।
रिचा कर की प्रारंभिक शिक्षा
बचपन से ही रिचा का एकेडमी बैकग्राउंड रहा है। शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद, बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, पिलानी से उन्होंने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। रिचा का उद्देश्य बचपन से ही कुछ अलग करने का था। उन्हें अपनी अलग पहचान बनाना थी। इसलिए रिचा ने एक आईटी सेक्टर की कंपनी में सॉफ्टवेयर एनालिसिस्ट के पद पर काम करना शुरू कर दिया था। लेकिन सिर्फ नौकरी पाना ही, उनका एक मात्र उद्देश्य नहीं था। जिस कारण उन्होंने इंजीनियरिंग करने के बाद, एमबीए करने का मन बनाया। फिर रिचा ने अपना एमबीए पूरा किया। जिसके बाद उन्होंने स्पेंसर्स कंपनी में ब्रांड कम्युनिकेशन एरिया मैनेजर के रुप में भी काम किया। साल 2010 में रिचा को सैप कंपनी के साथ बिजनेस कंसलटेंट के रुप में, काम करने का मौका मिला। यहाँ पर उन्हें लीडरशीप के बारे में भी बहुत कुछ सीखने को मिला। उन्होंने यह भी सीखा कि कैसे बिजनेस में काम होता है। फिर धीरे-धीरे यह उनका जुनून बनता गया। रिचा को कंपनियों में काम करने के बाद ये तो पता चल गया था की कोई भी बिजनेस कैसे वर्क करता है। इसके साथ ही उन्हें यह भी पता चल चुका था की किसी भी बिजनेस को शुरू करने के लिए सही जानकारी का होना बहुत आवश्यक है।
कुछ इस तरह आया बिजनेस का आईडिया
अपनी स्टडी पूरी होने के बाद जब वह कंसल्टेंट के रुप में काम कर रही थीं तो उन्हें एहसास हुआ कि महिलाओं को दुकान से लिंगरी लेते हुए शर्मिंदगी महसूस होती है। महिलाएं अपनी पसंद के बिना और बिना अपने मांप के ही लिंगरी खरीदती हैं, जिस कारण उन्हें काफी दिक्कतें भी होती हैं। इतनी शर्मिंदगी के वजह वे ठीक माप और पसंद के समान नहीं ले पाती हैं। इसी दौरान उनके मन में एक विचार आया कि क्यों ना महिलाओं और लड़कियों के लिंगरी प्रोडक्ट्स को एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराया जाए। जहां से वे अपनी इच्छा के मुताबिक और साइज के अनुसार कोई भी प्रोडक्ट खरीद सकें। इसके साथ ही प्रोडक्ट पसंद ना आने पर या साइज बराबर ना होने पर कस्टमर वापस भी भेज सकते हैं।
उनको अपने विचार पर पूरा भरोसा तो था हालांकि उन्होंने जिसे भी अपना यह विचार बताया, उन सभी ने रिचा को गलत ही कहा क्योंकि ब्रा जैसे नाम लेने से भी लोगों को शर्म आती थी, ऐसे में इस तरीका के काम कोई कैसे कर सकता है। जब उन्होंने अपनी मां को इस विचार के बारे में बताया तो उन्हें भी यह सुनकर शर्म आई थी। वहीं रिचा के दिमाग में यह विचार आने के बाद वह, लेडीज शोरूम पर गयी थीं। जहां जाकर उन्होंने यह देखा कि लड़कियां और औरतें अपनी इनरवेयर इत्यादि अपने साइज के मुताबिक नहीं ले पाती हैं। कोई भी साइज और किसी भी क्वालिटी का प्रोडक्ट लेकर चली जाती हैं। इस परेशानी का हल निकालने के लिए उन्होंने इस विचार को लागू करने के लिए प्रयास करने शुरू कर दिए।
कैसे हुई जिवामे की शुरुवात?
साल 2011 में उन्होंने जिवामे की नींव रखी गई। जिवामे की शुरुआत करने से पहले रिचा ने अच्छे से मार्केट रिसर्च किया। उन्होंने देखा की लड़कियां और औरतें दुकानदारों से कभी खुल के बात नहीं कर पाती, क्योंकि उन दुकानों पर ज्यादातर पुरुष दुकानदार होते थे। जिवामे एक लिंगरी बेस्ड स्टोर है। शुरुआती दिनों में उनको कोई भी घर या ऑफिस किराए पर नहीं देता था। शुरुआती दिनों में उन्होंने अपनी सारी कमाई जिवामे के लिए खर्च कर दी और करीब 35 लाख रुपए उन्होंने अपने दोस्तों से उधार लिए।
बिज़नेस शुरू करने के काफी समय बाद भी रिचा को कोई ऑर्डर नहीं मिला। काफी वक्त तक इंतजार करने के बाद और संघर्ष के बाद उन्हें इंदौर के एक बिजनेसमैन ने 7000 रुपए का ऑर्डर दिया। वक्त बीतने के साथ साथ जिवामे बढ़ने लगी और फिर साल 2012 में इनको 3 मिलियन डॉलर की पहली फंडिंगमिली। यह कोई छोटी कमाई नहीं थी, यहाँ से जिवामे और रिचा दोनों की ही जिंदगी बदलने वाली थी। साल 2013 में 6 मिलियन डॉलर और फिर साल 2015 में 40 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली और आज के समय में जिवामे की नेट वर्थ करीब 681 करोड़ रुपए है और आज जिवामे एक ब्रांड बन चुकी है ।
रिचा का मुश्किलों भरा सफर
रिचा ने एक ऐसे बिजनेस की शुरुआत की जिसके बारे में सुनकर लोगों को शर्म आती थी। उनके उसी विचार से आज उन्होंने 700 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी है। शुरुआत में तो रिचा को अपने घर में ही विरोध झेलना पड़ा था। उनकी मां ने अपनी बेटी का यह कहकर विरोध किया की हम अपने जान-पहचान वालों से क्या कहेंगे कि हमारी बेटी ब्रा और पेंटी बेंचती है। रिचा ने बताया कि उनके पिता को तो समझ मे ही नहीं आया कि आखिर वह कौन-सा काम करना चाहती हैं। उनका कहना है कि जब शुरुआत में लोगों को, हमारे बिजनेस के बारे में पता चला, तब लोग उन पर हंसते थे। उनका मजाक बनाया जाता था। इतना ही नहीं, शुरुआत में तो उन्हें अपने बिजनेस के लिए, जगह ढूंढने में बड़ी दिक्कतें हुई थी। जब रिचा घर किराए पर लेने जाती तो मकान मालिक उनके बिजनेस के बारे में पूछते थे। तब रिचा उनसे सिर्फ यही कह पाती कि वह आनलाइन कपड़े बेचने का काम करती हैं। जिसके वजह से उन्हें जगह मिली। इसी तरह ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट “जिवामे” के लिए पेमैंट गेटवे हासिल करना भी चुनौतीपूर्ण रहा। इन सभी चुनौतियों का सामना करने से रिचा कभी पीछे नहीं हटी। जब हर कोई रिचा के खिलाफ था और उनके आइडिया का मजाक बना रहा था, उस वक्त वह ध्यान केंद्रित कर रही थी और अपने सपनों की तरफ बड़ रही थी। आज वही लोग उनके काम की तारीफ करते हैं।
क्या है जिवामे का मतलब?
जिवामे का प्रमुख उद्देश्य महिलाओं की सहायता करना था। रिचा अपनी वेबसाइट का नाम जिवा रखना चाहती थी। हालांकि वेबसाइट का नाम उपलब्ध ना होने के वजह से, उन्हें इसका नाम जिवामे रखना पड़ा। जिसका मतलब है- मुझमें चमक होना। जिवामे बिजनेस एक वितरण प्रणाली के साथ आना चाहता था। जो लिंगरी के फिजिकल डिस्ट्रीब्यूशन की परेशानियों को दूर कर सके। जिवामे में ऑनलाइन प्रोडक्ट एक्सपर्ट भी हैं, जिनसे महिलाएं चैट भी कर सकती हैं। महिलाएं चाहे तो उनसें सवाल भी पूछ सकती हैं। रिचा अपने कस्टमर्स को अच्छी सर्विस देने में ही विश्वास रखती हैं। इससे कस्टमर का जिवामे पर भरोसा बनता रहा। इसी वजह से उनके बिजनेस में स्थिरता भी आती गई।
जिवामे की फंडिंग
रिचा ने जिवामे की शुरुआत 35 लाख रुपयों से की जो उन्होंने अपनी सैलरी, परिवार और दोस्तों से लिए थे। लेकिन आज के समय में इसमें कलारी केपिटल, यूनीलेजर वेंचर्स, टाटा, और जोडियस टेक्नोलॉजी फंड जैसी कंपनियां शामिल हैं।
पति ने किया पूरा समर्थन
रिचा के पति ने शुरुआत से ही उनका साथ दिया और उन्हें अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए प्रेरित भी किया। हालांकि फिर भी उन्हें समाज के विवाद का सामना करना ही पड़ा। जब साल 2011 में उन्होंने लिंगरी का करोबार शुरू कर दिया तो उनकी मां ने भी उनका साथ छोड़ दिया। लेकिन फिर भी रिचा अपने उद्देश्य के साथ आगे बढ़ी और आज करोड़ों की कंपनी की मालिक बन गई। ऐसा करके आज वह उन सभी महिलाओं के लिए एक उदाहरण बन गई हैं जो समाज और परिवार के डर से आगे नहीं बढ़ पाती हैं।
Link Source: Zivame, Instagram