ब्राजील के जंगल में दुनिया के सबसे अकेले शख्स की मौत, 26 साल तक इसलिए दुनिया से दूर रहा।
आप यह तो जानते ही होंगे कि सदियों पहले इंसान जंगलों में ही रहा करते थे। इंसानों की अलग-अलग जनजातियां होती थीं। जैसे-जैसे वक्त बदलता गया, इंसान भी आधुनिक होता गया। इस सदी में जहां अधिकांश लोग शहरों में रहते हैं वहीं आज बहुत कम ऐसे लोग रह गए हैं जो जंगलों में जनजातियों के रूप में रहने लगे हैं। ब्राजील में अमेजन के जंगलों में कई जनजातियां एक वक्त में पाई जाती थीं मगर अब अधिकतर विलुप्त होने के कगार पर आ चुकी हैं। हाल ही में एक जनजाति विलुप्त हो गई क्योंकि उसके आखिरी सदस्य की मृत्यु हो गई।
26 साल अकेले रहा यह आदिवासी व्यक्ति
ब्राजील में अमेजन के घने जंगलों में 26 साल से अकेले रह रहे आदिवासी व्यक्ति की ब्राजील में मृत्यु हो गई है। इस व्यक्ति को दुनिया का ‘सबसे अकेला इंसान’ भी कहा जाता था। यह रहस्यमयी व्यक्ति ब्राजील के एक ऐसे मूल दुर्लभ आदिवासी समुदाय का आखिरी शख्स था जिससे बाहरी दुनिया का कोई मतलब नहीं था। इस व्यक्ति को ‘मैन ऑफ द होल’ के रूप में भी जाना जाता था क्योंकि उसने अपना पूरा जीवन जमीन में गड्ढों खोद कर उसमें रहने या छुपने में ही बिता दिया।
23 अगस्त को मिला शख्स का शव
ब्राजील में मूल निवासियों के मामलों की एजेंसी ने कहा है कि इस व्यक्ति का शव 23 अगस्त को उसकी भूसे की झोपड़ी के बाहर एक झूले में मिला था। बता दें कि एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि व्यक्ति के साथ हिंसा के कोई संकेत नहीं मिले हैं। उन्होंने यह भी कहना है कि क्योंकि उस व्यक्ति ने अपने शरीर के चारों ओर चमकीले रंग के पंख लगा लिए थे, इसलिए लोग ऐसा मानते हैं कि वह व्यक्ति अपनी मृत्यु के लिए तैयार था।
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ब्राजील का यह एजेंसी दूर से इस व्यक्ति पर निगरानी रख रहा था। उस व्यक्ति ने इशारों में जता दिया था कि उसे अकेले रहना है और कोई पास आने के प्रयास न ही करे। जिस वजह से जनजाति संरक्षण न्यास के कर्मचारी प्रायः शिकार और अन्य कामकाज के औजारों के साथ बीज उसके रिहायश के इलाके में रखकर लौट आते थे। उसकी गतिविधियों पर दूर से ही निगरानी की जाती रही।
अनुमान के मुताबिक उस शख्स की आयु लगभग 60 वर्ष थी। वह रोन्डोनिया राज्य में तनारू क्षेत्र में रहने वाले एक मूल समुदाय में से आखिरी व्यक्ति था। ब्राजील की संघीय पुलिस अब उसके शव का पोस्टमार्टम करेगी और एक रिपोर्ट तैयार करेगी।
1995 में ही खत्म हो गए थे इस जनजाति के सभी सदस्य
अधिकारियों का ऐसा मानना है कि ये व्यक्ति तनारू क्षेत्र का एकमात्र मूल निवासी था। इस क्षेत्र के लोगों को ब्राजील के सबसे हिंसक क्षेत्रों में से एक माना जाता है। एक गैर-लाभकारी संगठन सर्वाइवल इंटरनेशनल के मुताबिक 1970 के दशक से जमीन के लिए कुछ मवेशी पालने वाले समूह द्वारा कथित तौर पर किए गए हमलों की एक श्रृंखला में बाकी जनजाति का नरसंहार कर दिया गया था। आखिर कुछ सदस्यों को 1995 में खत्म कर दिया गया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मूल आदिवासी समूह के बारे में बहुत कम जानकारी है क्योंकि नरसंहार के बाद जिंदा रहे एकमात्र व्यक्ति ने उससे संपर्क के अधिकारियों के कई प्रयास का विरोध किया था। ऑब्जर्वेटरी फॉर द ह्यूमन राइट्स ऑफ आइसोलेटेड एंड रीसेंट कॉन्टैक्ट इंडिजिनस पीपल्स (ओपीआई) ने इस शख्स की मौत के बारे में जानकारी मिलने पर कहा है कि, ‘वह किस जाति के थे, और अपने घर के अंदर गड्ढों को खोदने की वजहों का खुलासा किए बगैर उनकी मृत्यु हो गई।’
इस ‘द मैन ऑफ द होल’ को आखिरी बार साल 2018 में एक सरकारी टीम द्वारा फिल्माया गया था। उस दौरान उसे एक पेड़ को काटने के लिए कुल्हाड़ी जैसे नुकीले उपकरण का प्रयोग करते हुए देखा गया था।
आखिरी सदस्य को लेकर हुआ बड़ा खुलासा
जनजाति के आखिरी सदस्य को लेकर एक चौंकाने वाली बात सामने आई है। ऐसा माना जा रहा है कि इस व्यक्ति को अपनी मृत्यु के बारे में पहले से पता था, क्योंकि शव के हाथ में मकाऊ तोते का पंख था। उस जनजाति में ये रिवाज थी कि मरते वक्त लाश के हाथ में तोते का पंख रखा जाता था। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि उस जनजाति का ना तो लोगों को नाम पता था और ना ही वो क्या भाषा बोलते थे। पुलिस को जाँच के वक्त पता चला कि उसकी लाश के पास किसी भी तरह के हिंसा कोई निशान नहीं थे। ऐसे में हत्या की संभावना को खारिज कर प्राकृतिक मौत बताई जा रही है। लेकिन, अभी पुलिस शव की फॉरेन्सिक जांच करेगी।
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