पीरियड्स पर बना डाली कॉमिक्स और बनी देश की युवा बिजनेसवुमन।
- एजुकेटेड होने के बावजूद भी बहुत सारे लोग इस से संबंधित मिथकों को फॉलो करते हैं। इन बातों के कारण ही मेंस्ट्रुपीडिया कॉमिक का विचार अदिति के दिमाग में आया।
- अदिति ने बताया कि तब लड़कियां सेनिटरी पैड्स भी नहीं यूज करती थीं। पुराने हो चुके कुछ कपड़ों को ही पैड्स की जैसे उपयोग किया जाता था।
- अदिति का यह कॉमिक सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में भी बहुत ज्यादा फेमस है।
हमारी सोसायटी में पीरियड्स को लेकर बहुत बातें की जाती हैं। हां, पर ये बातें यदि बिना झिझक के की जाएं तो बहुत गलतफहमियां दूर हो सकती हैं। पीरियड्स के बारे में लोग अभी भी खुलकर बातें नहीं कर पाते हैं। आमतौर पर लड़कियां पीरियड्स के बारे में बात करने से काफी झिझकती हैं। ऐसे में झारखंड की एक लड़की ने आगे आकर अपनी इस पीरियड्स प्रॉब्लम को सबके सामने रखा। इसके साथ ही इस लड़की ने एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाया जहां लड़कियां बिना संकोच के पीरियड्स से जुड़ी बातों को शेयर कर सकती हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं अदिति गुप्ता की, जिन्होंने इसके लिए मेन्सट्रूपीडिया की शुरुआत की है।
मेनस्ट्रूपीडिया के फाउंडर कौन हैं?
अदिति गुप्ता एक लेखिका और मेंस्ट्रुपीडिया कॉमिक की सह-संस्थापक हैं। अदिति और उनके पति, तुहिन पॉल ने साल 2012 में मेनस्ट्रुपीडिया कॉमिक की शुरुआत की थी। अदिति गुप्ता एक सामाजिक करोबार चलाती हैं, जो पीरियड्स से संबंधित जानकारी देने की दिशा में काम कर रही हैं।
कैसे आया मेंस्ट्रुपीडिया कॉमिक का विचार
मेन्सट्रूपीडिया की संस्थापक अदिति गुप्ता ने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन अहमदाबाद से इंजीनियरिंग और न्यू मीडिया डिज़ाइन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। इसी दौरान उनकी मुलाकात अपने पति तुहिन पॉल से हुई थी। अदिति गुप्ता और तुहिन पॉल ने यहां साथ में काफी प्रोजेक्ट्स किए। वहां काम करते हुए उन्होंने जाना कि पढ़े-लिखे लोग भी पीरियड्स के बारे में जागरुक नहीं हैं। एजुकेटेड होने के बावजूद भी बहुत सारे लोग इस से संबंधित मिथकों को फॉलो करते हैं। इन बातों के कारण ही मेंस्ट्रुपीडिया कॉमिक का विचार अदिति के दिमाग में आया।
इसके बाद ही पीरियड्स के बारे में जागरुकता और ज्ञान की कमी ने उन्हें इस बारे में पूरे एक साल तक रिसर्च करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने डॉक्टरों और लड़कियों से इनफॉर्मेशन लेना शुरु कर दिया। इसी दौरान उनके दिमाग में एक डॉक्टर और 3 युवा लड़कियों के साथ एक कॉमिक बुक शुरु करने का आइडिया आया। जिसके बाद अदिति ने एक वेबसाइट (www.talesofchange.in) पर कॉमिक बुक्स डालीं। साल 2012 के नवंबर में अदिति और उनके पति, तुहिन पॉल ने इस बारे में काफी ज्ञान और जागरुकता फैलाने के लिए मेंस्ट्रुपीडिया की शुरुआत कर दी।
थीसिस प्रोजेक्ट के तौर पर हुई मेंस्ट्रुपीडिया की शुरुआत
मेंस्ट्रुपीडिया की शुरुआत नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन, अहमदाबाद में एक थीसिस प्रोजेक्ट के तौर पर की गई। अदिति की यह वेबसाइट प्री-टीन और टीनएजर्स को यौवन और कामुकता पर जागरुकता देने वाले प्लेटफॉर्म के तौर पर विकसित हुई है। बेवसाइट के अलावा मेंस्ट्रुपीडिया एक कॉमिक भी है। अदिति का यह कॉमिक सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में भी बहुत ज्यादा फेमस है।
इस नए विचार के कारण मेंस्ट्रुपीडिया कॉमिक की लोकप्रियता में बहुत बढ़ोतरी हुई। यह कॉमिक पीरियड्स, स्वच्छता और युवावस्था को लेकर और आसान भाषा में जानकारी देती है। इसके साथ ही मेंस्ट्रुपीडिया कॉमिक पीरियड्स से जुड़े मिथकों को तोड़ने में भी मुख्य रोल निभाती है। मेंस्ट्रुपीडिया में पीरियड्स से जुड़े मिथकों को विशेषज्ञों के नज़रिए से गलत साबित किया गया है और हर मुद्दे पर खुलकर बात की गई है। मेंस्ट्रुपीडिया को न केवल महिलाओं ने बल्कि पुरुषों ने भी हाथों-हाथ लिया है।
अदिति का पहला कदम
अदिति गुप्ता ने 50,000 से ज्यादा महिलाओं को पीरियड्स के बारे में जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने 10,000 शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया और पूरे विश्व में 13 मिलियन महिलाओं के जीवन को प्रभावित किया है। हालांकि, इस सफर में आगे बढ़ने की उनकी प्रेरणा एक लड़की के रूप में उनके सामने आने वाली कठिनाइयों से जन्मी है।
अदिति को 12 साल की उम्र में पीरियड्स शुरु हुए। हालांकि, पीरियड्स के बारे में सही जानकारी 15 साल की आयु में क्लास 9 में आने पर हो पाई। हर भारतीय परिवारों की तरह, उसे भी इस बात को गुप्त रखने के लिए कहा गया था। न सिर्फ अदिति को पीरियड्स के दौरान मंदिर में प्रवेश करने से मना किया गया था, बल्कि उसे कपड़े का भी उपयोग करना पड़ा। इसी दौरान अदिति ने लड़कियों के पीरियड्स के दौरान होने वाली अशुद्धता और शर्मिंदगी को महसूस किया।
15 साल की उम्र में पहली बार खरीदा सेनिटरी पैड
अदिति ने एक इंटरव्यू के दैरान बताया है कि उन्हें तब भी पीरियड्स के बारे में ये टैबू पसंद नहीं थे, हालांकि तब इसके बारे में उनके पास बायोलॉजिकल और लॉजिकल जानकारी नहीं थी। घर में पीरियड्स पर बातें तो की जाती, पर दबी-छुपी आवाजों में जैसे कि यह कोई बहुत बुरी बात हो। इतना ही नहीं उनके स्कूल में बायोलॉजी की शिक्षिका ने चाइल्ड बर्थ का चैप्टर पढ़ाने से भी इनकार कर दिया था। अदिति ने बताया कि तब लड़कियां सेनिटरी पैड्स भी नहीं यूज करती थीं। पुराने हो चुके कुछ कपड़ों को ही पैड्स की जैसे उपयोग किया जाता था। थोड़ा-बहुत आज के वक्त में भी बहुत महिलाएं कपड़े इस्तेमाल कर अपनी महावारी निपटा रहा है।
शुरुआती पढ़ाई के बाद जब उनको दूसरे शहर के बोर्डिंग स्कूल में भेजा गया, उस वक्त उन्हें मालूम हुआ कि वह कपड़े की जगह सेनिटरी पैड का प्रयोग भी कर सकती हैं। जब वह घर में रहती थीं तो उन्हें मार्केट में आने वाले सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करने की इजाजत बिल्कुल नहीं थी, क्योंकि उनके परिवार का ऐसा मानना था कि पैड खरीदने से परिवार की गरिमा कम हो जाएगी। पीरियड्स को लेकर अदिति के दिमाग में इतने टैबू पहले से भरे हुए थे कि पहली बार मार्केट से सेनिटरी पैड लेने तक में उन्हें बहुत हिकिचाहट हुई। आपको बता दें कि 15 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार सेनिटरी पैड का प्रयोग किया।
शार्क टैंक इंडिया में नजर आई थीं अदिति
साल 2022 में अदिति गुप्ता शार्क टैंक इंडिया में नजर आ चुकी हैं। अदिति अपने पति तुहिन पॉल के संग बिजनेस रियलिटी शो में गईं थी। शो के दौरान उन्होंने मेंस्ट्रुपीडिया के बारे में जानकारी दी। अदिति और उनके पति तुहिन पॉल ने उन सभी मुश्किलों पर बात की, जिनका सामना महिलाओं को समाज के वजह से करना पड़ता है। उन्होंने यह भी बताया कि पीरियड्स पर देश की पहली कॉमिक बुक बनाने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी कैसे छोड़ दी थी। उनका उद्देश्य लोगों के प्राकृतिक प्रक्रिया को देखने के तरीके को बदलना है। उन्होंने इस बारे में भी बात की कि वे मेनस्ट्रूपीडिया का विस्तार कैसे करना चाहते हैं। दोनों एक ऐप भी डेवलप करना चाहते हैं। ऐप के जरिए कोई भी महिला पीरियड्स के बारे में जो भी जानकारी चाहे वह बिना झिझक के उसे मिलेगी। नमिता थापर इसके विषय में काफी आश्वस्त थीं और उन्होंने तो 20 प्रतिशत इक्विटी के लिए 50 लाख का फंड देने का निर्णय लिया है।
Link Source: Google, LinkedIn