दिवाली पर बोनस और गिफ्ट्स की बरसात! कार-बाइक, फ्लैट जैसे कीमती गिफ्ट्स किए भेंट।
- चेन्नै की IT फर्म Ideas2IT ने अपने 100 कर्मचारियों को 100 कारें भेंट की थीं। यह उपहार उन्हें लॉयल्टी प्रोग्राम के तहत दिए गए हैं।
- गुजरात के हीरा व्यापारी सावजी ढोलकिया ने 5 साल की गारंटी वाली ऑटोमेटिक कारें भेंट की हैं।
- गोविंद के परिवार ने अमरेली जिले में स्थित अपने पैतृक गांव दुधाला के हर घर में सोलर पैनल लगवाए हैं। दुधाला भारत का पहला ऐसा गांव है जो सरकारी की मदद के बिना पूरी तरह सोलर एनर्जी पर चलता है।
दिवाली के अवसर पर जॉब करने वालों को बोनस और गिफ्ट्स की उम्मीद रहती है। वहीं गवर्नमेंट एम्प्लॉयी के लिए तो दिवाली बोनस का ऐलान होता है। लेकिन प्राइवेट एम्प्लॉयी की दिवाली उनके एंप्लॉयर के मूड पर निर्भर करती है। देश के कुछ बिजनेसमैन ऐसे हैं जो हर बार दिवाली पर अपने कर्मचारियों को महंगे से महंगा उपहार देते हैं। देश की कुछ कंपनियों के मालिक बड़े दिलदार हैं। हमेशा की तरह इस बार भी दिवाली के खास मौके पर कर्मचारियों को बेहद कीमती उपहार भेंट किए गए हैं।
मालिक ने दिवाली पर किया खुश
चेन्नै के जयंती ज्वैलरी स्टोर के कर्मचारियों को दिवाली के खास मौके पर कार और बाइक्स भेंट की गई हैं। स्टोर के मालिक जयंती लाल चल्लानी ने 8 कर्मचारियों को कार दी और साथ ही 18 को बाइक गिफ्ट की हैं। कंपनी के अधिकारी के अनुसार, कंपनी ने इस साल कैश बोनस देने के जगह पर गाड़ियां देने का निर्णय किया है। कंपनी का ऐसा मानना था कि कैश लगभग 2 महीने में खत्म हो जाएगा लेकिन कार लंबे वक्त तक साथ रहेगी।
कीमती उपहार देने के लिए मशहूर हैं सूरत के सावजी
गुजरात के हीरा व्यापारी सावजी ढोलकिया ने 5 साल की गारंटी वाली ऑटोमेटिक कारें भेंट की हैं। साथ ही इंश्योरेंस कवरेज के साथ और पूरी टंकी भी फुल करके दी है। सावजी ढोलकिया हर वर्ष अपने कर्मचारियों को दिवाली पर कीमती उपहार भेंट करते हैं। उन्होंने साल 2014 में दिवाली बोनस के रुप में 491 कारें और 207 फ्लैट दिए थे। वहीं, साल 2016 में उन्होंने दिवाली के मौके पर 400 फ्लैट और 1260 कारें भेंट की थीं। उन्होंने साल 2018 में अपने 3 कर्मचारियों को मर्सिडीज बेंज जैसी बेहद कीमती कार गिफ्ट की थीं।
आईटी कंपनी ने कर्मचारियों को भेंट की थी बीएमडब्लू
इसी साल चेन्नै की कंपनी Kissflow ने अप्रैल माह में अपने 5 कर्मचारियों को बीएमडब्लू जैसी लग्जरी कार भेंट की थी। इन सभी कर्मचारियों को 80 लाख रुपये कीमत वाली बीएमडब्लू 530d भेंट की गई थी। Kissflow के सीईओ सुरेश संबदम ने भेंट देते वक्त कहा था कि ये पांचों कर्मचारी सुख-दुख में कंपनी के साथ रहे हैं। आपको बता दें कि फरवरी माह में, केरल के एक बिजनेसमैन ने भी अपने कर्मचारी को मर्सडीज बेंज भेंट की थी।
100 कर्मचारियों को उपहार में मिली 100 बेहतरीन कारें
चेन्नै की IT फर्म Ideas2IT ने अपने 100 कर्मचारियों को 100 कारें भेंट की थीं। यह उपहार उन्हें लॉयल्टी प्रोग्राम के तहत दिए गए हैं। इसके साथ ही कुछ कर्मचारियों को सोने के सिक्के और आईफोन्स भी भेंट किए गए हैं। Ideas2IT ने अपने कर्मचारियों को Ciaz, Ignis, XL6, Swift, Maruti Suzuki Baleno, Ertiga, यहां तक कि Vitara Brezza जैसी कार भी भेंट की गई थी।
पूरे गांव में लगवाए गए सोलर पैनल
गोविंद ढोलकिया गुजरात से ही एक और डायमंड डीलर हैं। गोविंद ढोलकिया श्री राम कृष्ण एक्सपोर्ट हीरा कंपनी के मालिक हैं। गोविंद के परिवार ने अमरेली जिले में स्थित अपने पैतृक गांव दुधाला के हर घर में सोलर पैनल लगवाए हैं। दुधाला भारत का पहला ऐसा गांव है जो सरकारी की मदद के बिना पूरी तरह सोलर एनर्जी पर चलता है। पूरे गांव में 232 घरों, दुकानों और दूसरे प्रतिष्ठानों में लगभग 276.5 किलोवाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र लगवाए गए हैं। इस गांव में सिर्फ वही घर सोलर पैनल के बिना रह गए हैं जो सालभर से बंद पड़े थे।
पांच दिवसीय दीपावली की शुरुआत
पांच दिन के दीवाली के त्योहारों का सिलसिला 22 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। दीवाली के अवसर पर लक्ष्मी-गणेश का पूरे विधि-विधान से पूजन करने से सुख-समृद्धि होती है। दीवाली की तैयारियां बाजारों से घर तक शुरू हो चुकी हैं। इस दिन का लोग साल भर इंतजार करते रहते हैं। धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, यम द्वितीया के पर्व उत्साह से मनाए जाते हैं। प्रमुख पर्व दीवाली 24 अक्टूबर को है। इसी दिन मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए विधि-विधान से पूजा की जाती है। घरों में सजावट की जाती है। इस पर्व को मनाने की तैयारियां घर से लेकर बाजार तक शुरू हो गई है। आपको बता दें कि 25 अगस्त को सूर्य ग्रहण होने के वजह से कोई पर्व मनाया नहीं जा सकेगा।
22 अक्टूबर को धनतेरस मनाई जाएगी। इस पर्व पर चिकित्सक भगवान धन्वंतरि का भी पूजन करते हैं। लोग धनतेरस को नए बर्तन की खरीददारी करते हैं और धन का भी पूजन करते हैं। पूजा का शुभ समय शाम 7.01 बजे से रात 8.17 बजे तक है। वहीं 23 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी। नरक से डरने वाले मानवों को चंद्रोदय के वक्त स्नान करना चाहिए। फिर सुबह तेल लगा कर स्नान करने से रूप संवरता है और यमलोक के दर्शन भी नहीं करने पड़ते हैं। नरकासुर की याद में 4 दिए भी जलाने चाहिए। 23 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी शाम के 6.03 बजे से शुरू होकर 24 अक्टूबर को शाम के 5.27 बजे तक रहेगी। फिर काली चौदस पर मां काली की रात में पूजा करने का विधान है।
24 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी। इस दिन महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है और कुबेर का भी पूजन किया जाता है। दीपकों को देवस्थान, तुलसी, जलाशय, आंगन, सुरक्षित स्थान, गोशाला आदि मंगल स्थानों पर लगाना चाहिए। इस दिन आतिशबाजी कर मां लक्ष्मी को खुश करना चाहिए। पूजन का शुभ समय शाम के 7.02 बजे से रात के 8. 23 बजे तक रहेगा। शाम के 5.50 बजे से रात के 8.58 बजे तक भी पूजन किया जा सकता है। रात के वक्त 11.30 बजे से 1.30 बजे तक भी पूजा की जा सकती है।
आइए जानते हैं दीवाली क्यों मनाते हैं?
दीवाली का त्यौहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन न केवल दिया जलाने और पटाखे फोड़ने की प्रथा है, बल्कि दीवाली मनाने के पीछे बहुत सारे पौराणिक कथा और प्रथा बताई जाती हैं। जिससे आज भी बहुत सारे लोग अपरिचित हैं। इस आर्टिकल के जरिए आपको बताएंगे कि दीवाली क्यों मनाई जाती है?
दीवाली क्यों मनाई जाती है?
- दीवाली के दिन धन की देवी यानि मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म और शास्त्र के अनुसार यह कहा जाता है कि समुद्र मंथन के वक्त कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसी वजह से दीवाली के अवसर पर मां लक्ष्मी का जन्मदिन मनाया जाता है और उनका पूजन होता है।
- भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी को बचाया था। भगवान विष्णु का पांचवा अवतार वामन था और हिंदू कथा के अनुसार यह कथा बेहद मशहूर है। इसमें भगवान विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि की गिरफ्तारी से माता लक्ष्मी को बचाया था। इस वजह से इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन होता है। भगवान कृष्ण ने नरकासुर का विनाश किया था। जब राक्षसों के राजा नरकासुर ने तीनों लोक पर प्रहार किया था और देवी-देवताओं पर उनका जुल्म बढ़ गया था तब इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का सर्वनाश किया था और विनाश के बाद करीब 16000 महिलाओं को नरकासुर के कैद से आजादी दिलाई थी। फिर इस जीत की खुशी को 2 दिन तक मनाया गया था। जिसमें दीवाली का दिन प्रमुख था। दीवाली के पहले दिन नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है और तब से लेकर आज तक चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी के रूप में उत्साह से मनाया जाता है।
- इस दिन लौटे थे पांडव। हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार महाभारत एक महाकाव्य है। जिसके अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन ही पांडव 12 साल के वनवास के बाद वापस आए थे, उनके आने की खुशी में प्रजा ने उनके सत्कार के लिए दिए जलाए थे। इस वजह से भी दीवाली का त्यौहार मनाया जाता है।
- हिंदू धर्म शास्त्र के दूसरे महाकाव्य रामायण के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन भगवान श्री राम लक्ष्मण और सीता के साथ लंका से रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या वापस लौटे थे और उनके आने की उल्लास में पूरे अयोध्या को घी के दिए से रोशन किया गया था और उनका सत्कार किया गया था। इसी दिन को भगवान राम की जीत के उल्लास के रुप में मनाया जाता है।
- दिवाली के मौके पर ही महान पराक्रमी राजा विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था। राजा विक्रमादित्य दयालुता, शोर्य और बहादुरी के प्रतीक हैं। इन सभी वजहों से दीवाली भारत में बेहद जरुरी है और सभी त्यौहारों में खास है। इसी वजह से पूरे धूमधाम से दीपावली का त्योहार मनाया जाता है।
Link Source: LinkedIn, Wikipedia